'चालाक बंदर और विश्वासयोग्य दोस्ती: एक मोरल कहानी | शिक्षाप्रद कहानी' | 'Clever Monkey and Trustworthy Friendship: A Moral Story | Inspirational Story' | Latest Stories In Hindi Only On Shivam Short Stories

'Story time' चींटी और बंदर की कहानी By 'Shivam Short Stories'

 एक समय की बात है, एक छोटा और मस्तिष्कशील बंदर एक जंगल में रहता था। वह बंदर बहुत ही चालाक और बुद्धिमान था। जंगल में उसके दोस्त बहुत कम थे, लेकिन उसने उनकी कमी को महसूस नहीं किया। 

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एक दिन, उसने देखा कि एक चींटी एक पेड़ के ऊपर बचा हुआ गुड़ खा रही थी। बंदर ने तुरंत यह सोचा कि यह गुड़ मेरे लिए बहुत ही स्वादिष्ट होगा, लेकिन मैं इस पेड़ तक नहीं पहुंच सकता। फिर उसने एक उपाय सोचा।


बंदर ने धार बनाई और उसे पेड़ से जुड़ने के लिए चींटी के पास भेजा। वह चींटी को बताया कि उसे चाहिए ताकि वह बंदर के लिए गुड़ ले आए। चींटी ने बंदर के वचन में विश्वास करते हुए उसकी मदद करने का निर्णय लिया।


चींटी ने धार को पकड़ा और पेड़ के बाल्टी में गुड़ भर दिया। उसने धार को गाँठ लगाई और बंदर के पास उसे ले आया। बंदर ने बहुत खुश होकर चींटी की मदद की पहचान की और उसका धन्यवाद किया।


कुछ समय बाद, बंदर और चींटी ने एक और दोस्त बनाया, एक मेंढ़क खरगोश। खरगोश बहुत ही तेज दौड़ता था और बहुत ही समय तक ऊपर के पहाड़ियों पर छलांग लगाता रहता था। यह उसका रोज़ाना का कार्य था।


एक दिन, बंदर, चींटी और खरगोश बात कर रहे थे। खरगोश अपनी धार की कहानी सुनाने लगा और चाहता था कि वे भी उसकी मदद करें। खरगोश बात करते समय चींटी को एक बड़ी चीज़ दिखाई दी, जो उसे ऊपर के पहाड़ियों पर छलांग लगाने में मदद कर सकती थी।


चींटी और बंदर बहुत खुश हुए और तुरंत खरगोश की मदद करने के लिए तैयार हो गए। चींटी ने धार को पकड़ा, परंतु यह धार खरगोश को पहाड़ियों पर छलांग लगाने के लिए बहुत भारी हो गई। खरगोश को इसे लेकर संभालने में असमर्थता महसूस हुई। धार ने उसे नीचे खींच लिया और वह गिर गया।


बंदर और चींटी को बहुत ही दुःख हुआ क्योंकि वे खरगोश की मदद न


हीं कर सके। खरगोश भी अपनी गलती को समझ गया और धार की भारी मदद के लिए चींटी और बंदर का धन्यवाद किया।


इस कहानी से हमें यह सिखाई जाती है कि हमें दूसरों की समय पर मदद करने की बजाय अपने सामर्थ्य के अनुसार मदद करनी चाहिए। हमें दूसरों की मदद करते समय अपनी सीमाओं को समझना और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हम उनकी मदद को पूरी कर सकें। गर्व और दोस्ती के भावना से अपनी सहायता करना सीखें, क्योंकि हमारी सहायता सचमुच महत्वपूर्ण हो सकती है।

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